मंगल दोष जिसे मांगलिक दोष भी कहा जाता है, ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह मंगल है, जिसे सेनापति की संज्ञा प्राप्त है। सेनापति सबसे आगे होता है और उसे तुरंत ही फैसला लेना होता है। अगर मंगल जन्म पत्रिका में अच्छे भाव में योगकारक है, तो यह जीवन में बहुत उन्नति और सफलता देता है। ज्योतिष के अनुसार मंगल एक ऊर्जावान ग्रह है, मंगल रक्त है, मंगल जोश है, लेकिन जोश के साथ होश भी आवश्यक है। इस ऊर्जा का प्रयोग अगर अच्छे कार्य में हो, तो व्यक्ति बहुत आगे बढ़ता है और इसी ऊर्जा को बुरे कार्यों में लगाने से जीवन नरक समान हो जाता है। लेकिन जन्म पत्रिका में कुछ स्थितियों में यह विवाह के लिए दोषकारक बन जाता है।
अतः जब कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, इसे विशेष रूप से वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ माना जाता है। और कहा जाता है कि कुंडली मांगलिक दोष से युक्त है। हालांकि मंगल दोष का विचार चंद्र कुंडली और शुक्र से भी करना चाहिए। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में विवाह में कठिनाइयाँ, विवाह में विलंब, या वैवाहिक जीवन में समस्याएं, यहाँ तक कि तलाक भी हो सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कई बार मंगल दोष कैंसिल या निरस्त भी हो जाता है, लेकिन इसके लिए कुंडली का सही प्रकार से अध्ययन होना चाहिए। कौन सा मंगल है और भाव के अनुसार मंगल दोष का फल भी अलग-अलग होता है। कई बार बहुत अल्प मंगल दोष या जिसे हम आंशिक मंगल दोष कहते हैं, होता है, जो कि अन्य पापी ग्रहों द्वारा भी निरस्त हो जाता है। अगर दोनों पति-पत्नी मांगलिक होते हैं, तो दोष का असर कम हो जाता है।
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