कर्मकांड पूजा पाठ – हिंदू धर्म के अनुसार पूजा पाठ, यज्ञ ( हवन ) एवं अनुष्ठानों को संपादित करने की एक धार्मिक विधि है इसी धार्मिक विधि को कर्म कांड कहते है यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: “कर्म” अर्थात कार्य या क्रिया ” कांड ” प्रक्रिया या अध्याय
जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारो का धार्मिक विधि के द्वारा सम्पादन करना भी कर्मकांड है।
16 संस्कार है – गर्भाधान, पुंसवन, सीमंतोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, कर्णवेध, विद्यारंभ, उपनयन, वेदारंभ, केशांत, समावर्तन, विवाह, अंतिम संस्कार
अर्पण या दान – पवित्र वस्तुओं का अर्पण, जैसे फल, फूल, धूप दीप, माल्यार्पण आदि यह सब दान या अर्पण है
कर्मकांड का धार्मिक उद्देश्य – देवताओं की पूजा-अर्चना के माध्यम से उनका आशीर्वाद प्राप्त करना।
कर्मकांड का आध्यात्मिक उद्देश्य – आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति।
कर्मकांड का सामाजिक उद्देश्य – समाज में सद्भाव और परंपराओं का संरक्षण।
कर्मकांड का धार्मिक कर्तव्य – वेदों और शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन।
संक्षेप में, कर्मकांड धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने का एक साधन है, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन को धर्म से जोड़ना है।
धर्मो रक्षति रक्षितः” एक संस्कृत सूक्ति है, जिसका शाब्दिक अर्थ है:
“धर्म की रक्षा करने से धर्म आपकी रक्षा करेगा।”आदि
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