mangal Dosh Pooja

mangal Dosh Pooja / मंगल दोष निवारण पूजा

मंगल दोष जिसे मांगलिक दोष भी कहा जाता है, ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह मंगल है, जिसे सेनापति की संज्ञा प्राप्त है। सेनापति सबसे आगे होता है और उसे तुरंत ही फैसला लेना होता है। अगर मंगल जन्म पत्रिका में अच्छे भाव में योगकारक है, तो यह जीवन में बहुत उन्नति और सफलता देता है। ज्योतिष के अनुसार मंगल एक ऊर्जावान ग्रह है, मंगल रक्त है, मंगल जोश है, लेकिन जोश के साथ होश भी आवश्यक है। इस ऊर्जा का प्रयोग अगर अच्छे कार्य में हो, तो व्यक्ति बहुत आगे बढ़ता है और इसी ऊर्जा को बुरे कार्यों में लगाने से जीवन नरक समान हो जाता है। लेकिन जन्म पत्रिका में कुछ स्थितियों में यह विवाह के लिए दोषकारक बन जाता है।

अतः जब कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, इसे विशेष रूप से वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ माना जाता है। और कहा जाता है कि कुंडली मांगलिक दोष से युक्त है। हालांकि मंगल दोष का विचार चंद्र कुंडली और शुक्र से भी करना चाहिए। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में विवाह में कठिनाइयाँ, विवाह में विलंब, या वैवाहिक जीवन में समस्याएं, यहाँ तक कि तलाक भी हो सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कई बार मंगल दोष कैंसिल या निरस्त भी हो जाता है, लेकिन इसके लिए कुंडली का सही प्रकार से अध्ययन होना चाहिए। कौन सा मंगल है और भाव के अनुसार मंगल दोष का फल भी अलग-अलग होता है। कई बार बहुत अल्प मंगल दोष या जिसे हम आंशिक मंगल दोष कहते हैं, होता है, जो कि अन्य पापी ग्रहों द्वारा भी निरस्त हो जाता है। अगर दोनों पति-पत्नी मांगलिक होते हैं, तो दोष का असर कम हो जाता है।

  1. कुंभ विवाह या घट विवाह: कुंभ विवाह भारतीय शास्त्रोक्त विधि का एक सांकेतिक विवाह है, जिसमें कन्या भगवान विष्णु का वरण करती है। यह विशेषकर उन लोगों के लिए किया जाता है जिनकी कुंडली में मंगल दोष या अन्य किसी प्रकार का दोष हो। इस प्रक्रिया में व्यक्ति का प्रतीकात्मक विवाह पहले तुलसी से विवाह होता है या नारायण श्री हरि की मूर्ति, या किसी मटका घड़े से कराया जाता है। विवाह की सारी प्रक्रियाओं के बाद घड़े को खंडित कर दिया जाता है और इसे एक विवाह टूट गया माना जाता है। खंडित घड़े को दुल्हन नहीं देखती, इससे व्यक्ति पर मौजूद मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है और उसके बाद उनका वास्तविक विवाह बिना किसी समस्या के संपन्न हो सकता है।
  2. अर्क विवाह: शास्त्रों के अनुसार जब किसी पुरुष की कुंडली में मांगलिक दोष हो या सूर्य ग्रह द्वारा जनित दोष हो, तो अर्क विवाह की सलाह दी जाती है। अर्क विवाह में व्यक्ति का प्रतीकात्मक विवाह अर्क (अरवा) वृक्ष से कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस विधि से मांगलिक दोष या अन्य दोष या सूर्य दोष समाप्त हो जाता है और उसके बाद व्यक्ति का वास्तविक विवाह करने में कोई बाधा नहीं आती।
  3. मंगल यंत्र: मंगल यंत्र को पूजा स्थान पर स्थापित कर नियमित रूप से पूजा करना और मंगल मंत्र का जाप करना भी एक उपाय है। हनुमान जी की पूजा और सुंदरकांड का पाठ भी मंगल दोष निवारण में सहायक होते हैं।
  4. पौराणिक स्थान: हमारे यहाँ पर कुछ पौराणिक स्थान हैं, जहाँ विवाह संपन्न होने पर मंगल दोष का प्रभाव कम हो जाता है, जैसे त्रिजुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड में। उज्जैन में भी इसका निवारण होता है।