वास्तु शास्त्र – वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और वास्तुकला के नियमों और सिद्धांतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य ऐसे भवनों का निर्माण करना है जो प्राकृतिक ऊर्जा के साथ संतुलन में हों और रहने वाले निवासियों के लिए शुभ, सुखद, और समृद्धिपूर्ण हों।
वास्तु शास्त्र मुख्य रूप से पांच तत्वों—पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, और आकाश के संतुलन पर आधारित है और इन्हें सही तरीके से नियोजित करने की सलाह देता है। अर्थात किसी स्थान पर पंचतत्वों का सही प्रकार से समावेश वास्तु कहलाता है। इसमें दिशाओं का विशेष महत्व है, और इसका उपयोग घर, कार्यालय, मंदिर, प्लाट या किसी भी निर्माण में किया जाता है।
अगर किसी भी स्थान का वास्तु अच्छा है तो वहाँ पर निवास करने वाले व्यक्ति स्वस्थ, धन, और हर प्रकार से समृद्धि की ओर अग्रसर होगा।
वास्तु दोष के कारण – वास्तु दोष तब उत्पन्न होता है जब किसी भवन निर्माण में वास्तु शास्त्र के नियमो का पालन नही किया जाता है। ऐसी अवस्था मे घर मे वास्तु दोष से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ सामान्य समस्याएं जो वास्तु दोष के कारण हो सकती हैं, वे हैं:
इन समस्याओं से बचने के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण करना और वास्तु दोषों को सुधारने के उपाय करना आवश्यक माना जाता है।
वास्तु दोष निवारण के उपाय — वास्तु दोष को दूर करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जिनसे नकारात्मकता के प्रभाव को कम किया जा सकता है या समाप्त किया जा सकता है।
बिना तोड़-फोड़ के वास्तु के छोटे और सटीक उपाय — वर्तमान समय में हम बने-बनाए मकानों या फ्लैटों में रह रहे हैं, जो किसी सोसायटी या बिल्डर के होते हैं। वहाँ पर हम बिल्कुल भी तोड़-फोड़ नहीं कर सकते और तोड़-फोड़ करना भी हो तो बहुत महंगा पड़ता है। ऐसी अवस्था में हम बिना कुछ तोड़-फोड़ के और कुछ सरल उपाय के माध्यम से वास्तु दोष कम या ठीक कर सकते हैं, लेकिन इसमें आपको एक अच्छे वास्तु शास्त्र के जानने वाले व्यक्ति की जरूरत है, जो वास्तु सम्मत उपाय बताकर ऊर्जा का संतुलन करवा सके।
पिरामिड: पिरामिड कई प्रकार के होते हैं और कई धातुओं से बने होते हैं। पिरामिड शक्तिशाली होते हैं और ऊर्जा को संतुलित करते हैं। घर में विभिन्न स्थानों पर पिरामिड लगाने से वास्तु दोष कम हो सकता है।
दर्पण का उपयोग: दर्पण को सही दिशा में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, दक्षिण या पश्चिम की दीवार पर दर्पण न लगाएं।
सेंधा नमक: सेंधा या लाहोरी नमक के कुछ टुकड़े घर के कोनों में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सकती है। इसे समय-समय पर बदलते रहें।
हवा और प्रकाश: घर में ताजी हवा और प्राकृतिक प्रकाश का प्रवाह बढ़ाने से वास्तु दोष में सुधार हो सकता है। खिड़कियां खोलें और हल्के रंग के पर्दों का इस्तेमाल करें।
क्लटर का निवारण: घर में बेकार और अव्यवस्थित चीजों को हटाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। विशेष रूप से उत्तर-पूर्व दिशा में सफाई का विशेष ध्यान रखें।
पवित्र ध्वनियाँ: घर में शंख, घंटी, या मंत्रों का नियमित उच्चारण करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो सकती है।
पौधों का उपयोग: घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए तुलसी, मनी प्लांट, और अन्य हरे पौधों का उपयोग करें। ये उपाय वास्तु दोष को दूर करने में मदद कर सकते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं, वो भी बिना किसी तोड़-फोड़ के।
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