Wealth, Money, Finance

Wealth, Money, Finance

मानव जीवन मे जीविकोपार्जन के लिए या जीवन जीने के लिए धन या लक्ष्मी की परम आवश्यकता होती है अतः धन के बिना जीवन निरर्थक है और बिना धन के दरिद्रता का वास होता है ।

  1. धन – money , wealth, ज्योतिष में सुख, समृद्धि और वित्तीय स्थिति को जन्म कुंडली के विभिन्न भावो , ग्रहों और योगों के माध्यम से देखा जाता है या विश्लेषण किया जाता है। हमारे पूर्व जन्मानुसार ही हमारी कुंडली निर्मित होती है और कुंडली में कुछ ऐसे योग बनते है कि व्यक्ति राजा से रंक, या रंक से राजा बन जाता है कुछ व्यक्ति कितनी भी मेहनत कर ले लेकिन में हमेशा ही कष्ट रहता है अति परिश्रम के बाद भी फल नही मिलता, और कुछ व्यक्ति ऐसे होते है कि कर्म थोड़ा करने के बावजूद भी सफल हो जाते है यह सब ग्रहों का खेल है ।
  2. अतः कुंडली में हम कैसे वित्तीय स्थिति का आकलन करे या जीवन मे धन की स्थिति को आकलन कैसे करते है कुंडली मे मुख्य रूप से निम्न बिंदुओं का अध्ययन करना चाहिए लग्न भाव- लग्न भाव जन्म पत्रिका का मुख्य भाव होता है । अगर लग्न बली है अच्छे भाव मे बैठा है अच्छे ग्रहों से युति है पाप प्रभाव में नही है तो व्यक्ति अपने पुरुषार्थ से आगे बढ़ता है साथ ही अन्य भावो का अध्ययन जरूरी है ।
  3. द्वितीय भाव (धन का भाव) वाणी का भाव, पढ़ाई का भाव यह भाव व्यक्ति की धन-संपत्ति, वित्तीय स्थिति और बचत को दर्शाता है। इस भाव का स्वामी और इसमें स्थित ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस भाव पर दृष्टि संबंध , इस भाव के भावेश का अन्य ग्रहों से संबंध , शुभ ग्रहों से युति, नवम, दशम, एकादश भाव से संबंध का आंकलन करना शुभ ग्रह (जैसे शुक्र, बुध, और गुरु) का प्रभाव इस भाव को मजबूत बनाता है। ग्यारहवां भाव (लाभ का भाव) यह भाव आय, आर्थिक लाभ और इच्छाओं की पूर्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव का स्वामी और इसमें स्थित ग्रह भी व्यक्ति के आर्थिक लाभ का संकेत देते हैं। शुभ योग या ग्रहों की दृष्टि से यह भाव मजबूत हो तो व्यक्ति को अच्छे आर्थिक लाभ मिलते हैं।
  4. नवम भाव (भाग्य का भाव) यह उच्च पढाई का भाव है यह धर्म भाव है , भाग्य और समृद्धि का विचार नवम भाव से किया जाता है। नवम भाव का स्वामी और इसमें उपस्थित ग्रह यह तय करते हैं कि व्यक्ति को भाग्य का कितना सहयोग मिलेगा।
  5. पंचम और दशम भाव (सृजनात्मकता और करियर) पंचम भाव व्यक्ति की सृजनात्मकता और निवेश से जुड़े लाभ का संकेत देता है। दशम भाव करियर और पेशेवर सफलता से जुड़ा होता है। इसमें हमे सप्तम भाव का भी अवलोकन करना चाहिए यह पार्टनर शिप का भाव है । इन भावों के शुभ होने से व्यक्ति को आर्थिक स्थिरता मिलती है।
  6. शुक्र और गुरु (धन के कारक ग्रह) शुक्र को भौतिक सुख, धन और ऐश्वर्य का कारक माना जाता है। गुरु को धन, समृद्धि और ज्ञान का कारक माना जाता है। यदि ये ग्रह शुभ स्थिति में हैं तो व्यक्ति को धन और समृद्धि में मदद मिलती है।
  7. धन योग और राजयोग कुंडली में विशेष योग, जैसे धन योग, राजयोग, लक्ष्मी योग, आदि व्यक्ति के आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाते हैं। ये योग ग्रहों के शुभ संबंध, दृष्टि और स्थिति पर निर्भर करते हैं।
  8. शनि और लग्न का प्रभाव शनि की स्थिति और दृष्टि यह निर्धारित करती है कि व्यक्ति को आर्थिक स्थिति में संघर्ष करना पड़ेगा या आसानी से समृद्धि मिलेगी।
  9. दशा और गोचर का प्रभाव ग्रहों की महादशा और अंतर्दशा व्यक्ति की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव डालती हैं। गोचर के दौरान शुभ ग्रहों की स्थिति भी आर्थिक उन्नति में सहायक होती है। अतः सम्पूर्ण कुंडली का अध्ययन करके हम वित्तीय स्थिति का निर्णय कर सकते है

 

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