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श्राद्ध और पिंडदान

श्राद्ध और पिंडदान

श्राद्ध और पिंडदान सनातन धर्म में पितरों (पूर्वजों) के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले विशेष कर्मकांड हैं। यह कर्मकांड अमावस्या, विशेषकर पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) के दौरान किए जाते हैं। इनका उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करना, उन्हें तृप्त करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना है।


श्राद्ध का अर्थ

"श्राद्ध" शब्द संस्कृत के "श्रद्धा" से बना है, जिसका अर्थ है श्रद्धा और भक्ति। श्राद्ध में पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए उनका तर्पण, पिंडदान और अन्य धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं।


पिंडदान का अर्थ

"पिंडदान" का अर्थ है चावल, जौ और तिल से बने पिंड (गोलाकार अन्न के पिंड) अर्पित करना। यह कर्मकांड पितरों को भोजन अर्पण करने और उनकी तृप्ति के लिए किया जाता है। यह कर्म मृतक की आत्मा को स्वर्ग या मोक्ष Read More...