महामृत्युंजय मंत्र जप पूजा एवं हवन का महत्व और प्रक्रिया
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र मंत्र है। इसे "मृत्यु को जीतने वाला मंत्र" कहा जाता है। महामृत्युंजय पूजा और हवन का उद्देश्य दीर्घायु, स्वास्थ्य, और मानसिक शांति प्राप्त करना है। यह पूजा जीवन की कठिनाइयों, रोगों, और मृत्यु संबंधी भय को दूर करने में सहायक मानी जाती है।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ और महत्व
मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
अर्थ:
- हम उन भगवान त्र्यम्बक (तीन नेत्रों वाले शिव) की पूजा करते हैं, जो सुगंध और पोषण प्रदान करने वाले हैं।
- जैसे पकने के बाद फल बेल से स्वतः मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भगवान से मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर अमरता (मोक्ष) की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
महामृत्युंजय पूजा और हवन की प्रक्रिया
-
शुभ मुहूर्त का निर्धारण:
- पंडित जी द्वारा पूजा के लिए शुभ दिन और समय का निर्धारण किया जाता है।
-
पूजा की सामग्री:
- गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र, फूल, चंदन, अक्षत, दीपक, धूप, फल, पंचामृत, और हवन सामग्री।
-
गणेश पूजन:
- पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की आराधना से होती है ताकि सभी विघ्न और बाधाएं दूर हो जाएं।
-
कलश स्थापना:
- पवित्र जल से भरा हुआ कलश स्थापित किया जाता है, जिसे शुभता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
-
भगवान शिव की पूजा:
- शिवलिंग का जल, दूध, दही, शहद, घी, और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।
- बेलपत्र, पुष्प, और भस्म चढ़ाई जाती है।
-
महामृत्युंजय मंत्र का जप:
- निर्धारित संख्या (आमतौर पर 108, 1100 या 125000 बार) में महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
- जाप को पंडित जी या स्वयं भक्त पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ करते हैं।
-
हवन की प्रक्रिया:
- मंत्र जप के बाद हवन का आयोजन किया जाता है।
- हवन कुंड में घी, हवन सामग्री, और बेलपत्र अर्पित करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
-
आरती और प्रसाद वितरण:
- पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती की जाती है।
- भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र जप और हवन के नियम
-
शुद्धता का ध्यान:
- पूजा के दौरान तन, मन, और स्थान की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
-
श्रद्धा और समर्पण:
- मंत्र का जाप और हवन पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ करना चाहिए।
-
मंत्र उच्चारण में शुद्धता:
- महामृत्युंजय मंत्र का सही उच्चारण आवश्यक है।
-
नियमितता:
- यदि इस पूजा का अनुष्ठान लंबे समय तक किया जा रहा है, तो नियमितता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
-
पवित्र स्थान का चयन:
- पूजा और हवन के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करें।
महामृत्युंजय पूजा के विशेष अवसर
- गंभीर बीमारी या शारीरिक कष्ट के समय।
- परिवार की सुरक्षा और कल्याण के लिए।
- ग्रह दोषों और पितृ दोषों के निवारण के लिए।
- अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से बचाव के लिए।
- मोक्ष प्राप्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए।
महामृत्युंजय मंत्र जप पूजा और हवन भगवान शिव की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने का एक प्रभावी और पवित्र माध्यम है। यह पूजा जीवन को सुखमय, शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाती है।