पितृ दोष निवारण पूजा एक विशेष पूजा है जो हमारे पूर्वजों की आत्माओं की शांति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है। हिंदू धर्म में यह पूजा उन लोगों के लिए की जाती है जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है। पितृ दोष मुख्य रूप से तब होता है जब हमारे पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट रहती है या उनके प्रति हमारे कर्तव्यों में कमी रह जाती है।
पितृ दोष के कारण:
- पूर्वजों का उचित श्राद्ध न करना।
- वंशजों द्वारा पूर्वजों का अपमान या उनके प्रति कर्तव्यों की उपेक्षा।
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, पूजा या तर्पण न करना।
- जन्म कुंडली में सूर्य, चंद्रमा या राहु-केतु के दोष।
पितृ दोष के लक्षण:
- परिवार में बार-बार किसी न किसी सदस्य को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होना।
- विवाह में विलंब या रिश्ते में समस्याएं।
- आर्थिक स्थिति कमजोर होना।
- बच्चों की शिक्षा या करियर में बाधाएं आना।
- परिवार में कलह और अशांति।
पितृ दोष निवारण पूजा विधि:
- यह पूजा आमतौर पर श्राद्ध पक्ष, अमावस्या, या ग्रहण के दिन की जाती है।
- सबसे पहले पवित्र होकर पूजा स्थान की सफाई करें।
- पितरों का ध्यान करते हुए उनकी तस्वीर या प्रतीक को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
- मंत्रों का उच्चारण करें जैसे कि "ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः" और "ॐ श्राद्धाय नमः"।
- पितरों को जल, तिल, पुष्प और धूप अर्पित करें।
- पिंडदान करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दान दें।
- गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन अर्पित करें, क्योंकि इन्हें पितरों का रूप माना जाता है।
यह पूजा किसी योग्य पंडित के मार्गदर्शन में की जानी चाहिए ताकि विधि-विधान से पूजा पूरी हो सके।