गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र श्रीमद्भागवत महापुराण के आठवें स्कंध में वर्णित एक प्रसिद्ध कथा और स्तुति है। यह स्तोत्र भक्ति, विश्वास, और ईश्वर की कृपा पर आधारित है। इसमें एक हाथी (गजेंद्र) की कहानी है, जिसने संकट के समय भगवान विष्णु की आराधना की और उनकी कृपा से मोक्ष प्राप्त किया।
गजेंद्र मोक्ष की कथा का सारांश
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गजेंद्र का जलाशय में प्रवेश:
गजेंद्र, हाथियों के राजा, अपने परिवार के साथ एक सुंदर वन में रहता था। एक दिन प्यास लगने पर वह एक विशाल जलाशय में पानी पीने गया। -
मगर का आक्रमण:
जलाशय में एक मगरमच्छ ने गजेंद्र के पैर को पकड़ लिया और उसे खींचने लगा। गजेंद्र ने बहुत प्रयास किया, परंतु मगरमच्छ की पकड़ से मुक्त नहीं हो सका। -
गजेंद्र का ईश्वर का स्मरण:
जब गजेंद्र ने अपनी शक्तियों को विफल पाया, तो उसने अपने भीतर के अहंकार को त्यागकर भगवान विष्णु का स्मरण किया और उनकी स्तुति करने लगा। -
भगवान विष्णु का आगमन:
गजेंद्र की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु गरुड़ पर सवार होकर आए और सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ का वध किया। -
गजेंद्र को मोक्ष:
भगवान ने गजेंद्र को मगरमच्छ से मुक्त किया और उसे मोक्ष का वरदान दिया।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का महत्व
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भक्ति और विश्वास का प्रतीक:
यह स्तोत्र सिखाता है कि जब हम पूरी भक्ति और विश्वास के साथ ईश्वर का स्मरण करते हैं, तो वे हमारी सहायता के लिए अवश्य आते हैं। -
कठिन समय में सहारा:
यह कथा बताती है कि संकट के समय अपने अहंकार को त्यागकर ईश्वर का शरणागत होना चाहिए। -
मोक्ष का मार्ग:
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र भक्ति और समर्पण के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति का संदेश देता है। -
भगवान की कृपा:
यह स्तोत्र दर्शाता है कि ईश्वर अपने भक्तों की सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना को कभी अनसुना नहीं करते।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने का महत्व
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समर्पण की भावना:
पाठ करते समय भक्त को अपने सभी कार्यों को भगवान को समर्पित करने की भावना रखनी चाहिए। -
पवित्रता और शांति:
शांत और पवित्र वातावरण में इसका पाठ अधिक प्रभावी माना जाता है। -
नियमितता:
नियमित रूप से सुबह के समय इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
सारांश:
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र संकट के समय में भगवान विष्णु की स्तुति करने और उनकी कृपा से मोक्ष प्राप्त करने का एक अनुपम उदाहरण है। यह स्तोत्र न केवल भक्ति और समर्पण का महत्व सिखाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना का फल अवश्य मिलता है। इसका पाठ व्यक्ति के जीवन में शांति, सुरक्षा, और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।